नक्सल प्रभावित गाँवों में उम्मीद की किरण जगा रहे कलाकार

By Amit Verma Feb 23, 2017

नाटक देख भावुक हुए बच्चे, बोले.. हमें छोड़ मत जाइए

“आपलोग प्लीज मत जाइये….एक महीने बाद चले जाइएगा…. हमारे पास कोई नहीं आता है…” ये पुकार थी औरंगाबाद के मदनपुर थाना  के चिलमा गांव के माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चों की.




दरअसल इन दिनों औरंगाबाद पुलिस नक्सल प्रभावित गाँवों में नुक्कड़ नाटक के जरिये नक्सल कुरीतियों के बारे में लोगों को जागरुक कर रही है. इसके लिए जनता के समक्ष कलाकारों के माध्यम से प्रदर्शन कराया जा रहा है. उसी क्रम में जब भोजपुर से आये सर्जना ट्रस्ट के कलाकारों ने जब चिलमा मध्य विद्यालय में अपनी प्रस्तुति की और दूसरे गाँव में जाने को तैयार हुए तो छोटे- छोटे बच्चों ने कलाकारों के गाड़ी को घेर लिया और रुकने के लिए गुहार लगाने लगे. बच्चों को हँसाते-गुदगुदाते कलाकारों ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास नही होने की हकीकत को जब रख दिया तो बच्चे कलाकारों के मुरीद बन गए. विकास की हकीकत भी दिखी इन बच्चों की आँखों में जिनमे छलकी नमी ने सब बयान कर दिया. कलाकार भी भावुक हो उठे और बच्चों से वादा कर विदा लिया कि, आप मन लगाकर पढ़िए जल्द ही  पुनः किसी नए कार्यक्रम को लेकर वापस आएंगे.

नाटक टीम के कलाकारों में रागिनी कश्यप, धीरज कुमार, कृष्ण रतन देव, किशन कुमार, रामशंकर पासवान और कुमार सत्येंद्र शामिल हैं. नाटक का लेखन अंबुज आकाश ने किया है वही ओ पी पाण्डेय ने इसे निर्देशित किया है.

कार्यक्रम में जब बोले गाँववाले

चिलमा से जाने के बाद जब बादम गाँव में भी नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति हुयी. जहाँ नाटक खत्म होने के बाद गांव के ही एक युवक मुन्ना कुमार ने कहा कि ऐसे आयोजन हमेशा गाँव में होने चाहिए जिससे लोगों को शिक्षा मिले. वही गाँव के ही स्कूल की एक शिक्षिका ने भी नाटक में शिक्षाप्रद बातों की तारीफ़ करते हुए बच्चों के अभिभावक से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को स्कुल जरूर भेजें. उन्होंने बताया कि गाँव में स्कुल में आने में आवागमन के साधन नहीं होने की वजह से कभी-कभी परेशानी होती है जिससे वह देर से स्कुल पहुँचती हैं, जिससे बच्चे स्कूल से घर चले आते हैं. आज तीसरी प्रस्तुति जुड़ाही बाजार में की गयी.

सभी तीनो जगह मदनपुर थाना के थानाध्यक्ष सुभास राय पुरे दल-बल के साथ मौजूद रहे साथ ही प्रत्येक गाँवो में प्रस्तुतियों के बाद ग्रामीणों को संबोधित करते हुए कहा कि वे पुलिस से डरे नहीं बल्कि पुलिस को अपना मित्र समझें. पुलिस हर क्षण उनके किसी विकट परिस्थिति में मदद को कृत संकल्पित है और बेझिझक किसी वक्त थाने सहयोग के लिए कोई भी नागरिक आ सकता है.

साये की तरह सुरक्षा दे रही है पुलिस

विरल रास्ते, तीन तरफ पहाडों से घिरे गाँव में कलाकार अपने दिलेरी का परिचय देते हुए नुक्कड़ नाटक से सन्देश देते फिर रहे हैं और उनके पीछे पुलिस बल के पसीने उन्हें सुऱक्षा देते छूट रहा है. स्थानीय पुलिस के साथ बीएमपी और सीआरपीएफ के जवान भारी सुऱक्षा के बीच कलाकारों को उनके चिन्हित गाँवो तक पहुँचा रहे है और फिर वापस आने तक साया बनकर साथ रहते हैं.

रिपोर्ट- औरंगाबाद से ओ पी पांडेय

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