पटना।। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार भी टिकट कटने से परेशान और नाराज अभ्यार्थियों ने ना सिर्फ जमकर हंगामा किया बल्कि पार्टी के खिलाफ जाकर निर्दलीय नामांकन भी कर दिया. एनडीए और महागठबंधन के कई संभावित उम्मीदवारों ने तो खुद या अपने समर्थकों के जरिए विरोध भी दर्ज कराया. गोपाल मंडल तो सीएम हाउस के बाहर ही धरना देने बैठ गए.

टिकट कटने से नाराज जदयू के गोपाल मंडल ने गोपालपुर से निर्दलीय नामांकन किया. वहीं मुजफ्फरपुर में टिकट कटने से नाराज रामसूरत राय के समर्थकों ने जबरदस्त हंगामा किया.

इधर राबड़ी देवी के आवास के बाहर पूर्व प्रत्याशी मदन साह ने कुर्ता फाड़ कर विरोध जताया तो वहीं रितु जायसवाल, जो की पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता भी हैं , उन्होंने खुलेआम पार्टी के निर्णय का विरोध जताते हुए परिहार से निर्दलीय नामांकन करने की घोषणा कर दी.

राबड़ी आवास के बाहर टिकट के लिए पूर्व प्रत्याशी मदन साह ने रोते-रोते कुर्ता फाड़ लिया। इस दौरान वो सड़क पर भी लेट गए. मधुबन विधानसभा से राजद के पूर्व प्रत्याशी मदन साह ने आरोप लगाया कि संजय यादव की ओर से पैसे मांगे गए थे.
इन्होंने कायम की मिसाल
हालांकि इस बार कई ऐसे विधायक भी रहे जो पार्टी के निर्णय से पूरी तरह सहमत होते हुए टिकट कटने के बावजूद पार्टी के साथ खड़े दिखे और एक बेहतर परंपरा कायम करने की कोशिश की इनमें प्रमुख तौर पर पटना साहिब से विधायक नंदकिशोर यादव कुमार से विधायक अरुण कुमार सिंह समेत कुछ अन्य भाजपा विधायक रहे जिन्होंने सार्वजनिक तौर पर पार्टी के निर्णय का स्वागत करते हुए पार्टी के निर्णय से अपनी सहमति जताई.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इस बारे में बिहार के सीनियर जर्नलिस्ट प्रवीण बागी कहते हैं कि चुनाव में टिकट के लिए गलाकाट प्रतियोगिता के बीच ऐसे उदाहरण सुकून देते हैं. टिकट के लिए पार्टी छोड़ देना यह बताता है कि आपका समर्पण पार्टी और सिद्धांतों के लिए नहीं है. ऐसे नेताओं का स्वागत होना चाहिए जो बेहतर उदाहरण पेश करते हैं.
प्रवीण बागी ने कहा कि 74 आंदोलन के सेनानी अरुण कुमार सिन्हा पटना के कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर 5 बार विधायक रहे. इस बार पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. एक दिन पहले उन्हें बता दिया गया. उन्होंने तत्काल बयान जारी किया कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे. अगले दिन नए उम्मीदवार की घोषणा हुई. नामांकन के समय भी वे नये उम्मीदवार संजय गुप्ता के साथ मौजूद रहे.

दूसरी घटना बिहार विधानसभा अध्यक्ष और पटना साहिब से 7 बार विधायक रहे नन्द किशोर यादव से जुडी है. उन्हें भी इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया. अगले ही दिन उन्होंने बयान जारी कर पार्टी के फैसले का स्वागत किया और कहा कि पार्टी ने उन्हें बहुत कुछ दिया है. वे पार्टी के फैसले से सहमत हैं. बाढ़ से भाजपा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू का भी टिकट कट गया. उन्होंने भी बयान जारी कर पार्टी के फैसले का स्वागत किया. छपरा से भाजपा के सिटिंग विधायक रहे डॉ. सीएन गुप्ता का भी टिकट भाजपा ने काट दिया उनकी जगह पर छोटी कुमारी को प्रत्याशी बनाया. डॉ. गुप्ता ने इसे सहज भाव से लिया और पार्टी की बैठक बुलाकर छोटी कुमारी के नामांकन जुलुस को शक्ति प्रदर्शन का रूप देने की अपील की. वे खुद भी नामांकन जुलूस में शामिल हुए.
सीनियर जर्नलिस्ट प्रवीण बागी ने कहा कि संयोग से ये सभी नेता भाजपा के ही हैं. अन्य पार्टियों में भी ऐसा आदर्श उपस्थित करनेवाले विधायक हो सकते हैं. अगर किसी को जानकारी हो तो कृपया शेयर करें. ऐसे नेताओं से ही लोकतंत्र मजबूत होता है और राजनीति में नैतिकता का भाव पैदा होता है.
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