स्वदेशी सर्च इंजन की जरूरत है भारत को

By pnc Nov 18, 2016

भारत का अपना सर्च इंजन क्यों नहीं

डिजिटल इंडिया में क्या  नहीं है सम्भव




सरकार को अपना सर्च इंजन बनाना चाहिए

p016tvfy

सुप्रीम कोर्ट ने सर्च इंजनों को 36 घंटे के अंदर लिंग निर्धारण से संबंधित विज्ञापनों को हटाने का आदेश दिया है. साथ ही केंद्र सरकार को ऐसे विज्ञापनों की वेबसाटिों पर निगरानी के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त करने का निर्देश दिया है. इंटरनेट का भारतीय जन जीवन में दखल लगातार बढ़ता जा रहा है. डिजिटलाइजेशन के अभियान के तहत सरकार इसे नीतिगत रूप से बढ़ावा देना भी चाहती है. भारत ने अभी तक अपना कोई सर्च इंजन विकसित नहीं किया है. गूगल, याहू, माइक्रोसाफ्ट जैसे तमाम सर्च इंजनों का संचालन विदेशों से होता है. हर देश का अपना कानून है. अपनी प्राथमिकताएं हैं. भूमंडलीकरण के इस दौर में ग्लोबल गांव की अवधारणा तो प्रचलित हो रही है लेकिन अभी तक कोई ऐसी प्रणाली विकसित नहीं की जा सकी जिसके तहत सर्च इंजन विभिन्न देशों की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखें. भारत सरकार उन्हें अपने देश में देखी जाने वाली वेबसाइटों पर खास किस्म के बदलाव का निर्देश दे सकती है लेकिन उसका शत-प्रतिशत पालन हो यह जरूरी नहीं. पोर्न साइटों को प्रतिबंधित करने का निर्देश काफी पहले दिया जा चुका है फिर भी इस तरह के साइट धड़ल्ले से चल रहे हैं और युवा वर्ग की मानसिकता को विकृत करने में भूमिका अदा कर रही हैं. इसी तरह अप-संस्कृति को बढ़ावा देने का भरपूर सामान इंटरनेट की दुनिया में मौजूद हैं. चीन ने इसी कारण कुछ सर्च इंजनों को अपने देश में प्रतिबंधित कर दिया है. भारत भी ऐसा कर सकता है. लेकिन इंटरनेट पर ज्ञान-विज्ञान का भंडार भी कम नहीं है. एक क्लिक पर किसी विषय पर जानकारी प्राप्त करने की सुविधा से देश को वंचित भी नहीं किया जा सकता. यदि हमारे पास अपना सर्च इंजन होता तो उसे अपने सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों और जरूरतों के अनुरूप विकसित किया जा सकता था. ऐसा होने पर विदेशी सर्च इंजनों पर निर्भरता खत्म हो जाती और उन्हें अपनी शर्तो के अनुरूप सेवा प्रदान करने के लिए दबाव डाला जा सकता था. भारत तकनीक के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है. सरकार को अपना सर्च इंजन विकसित करने पर विचार करना चाहिए.

-देवेन्द्र गौतम ,सम्पादक /साहित्यकार 

By pnc

Related Post