पटना में हुआ भोजपुरी जीवनी गीत का ऐतिहासिक और भावनात्मक विमोचन समारोह

वीरता, विरासत और संस्कृति का संगम बना “अईसन ना जवानी देखनी” का लोकार्पण समारोह

मनीषा को बधाई देने पहुँची भोजपुरी सिने अभिनेत्री व गायिका अक्षरा सिंह




पटना।। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव की पूर्व संध्या पर उनकी जीवनगाथा पर आधारित भोजपुरी गीत “अईसन ना जवानी देखनी” का भव्य लोकार्पण समारोह बिहार संग्रहालय, पटना के ऑडिटोरियम में अत्यंत गरिमामय वातावरण में आयोजित हुआ. यह अवसर भोजपुरी अस्मिता, इतिहास, और सांस्कृतिक गौरव का एक अनोखा संगम बन गया.

यह पहला अवसर था जब संग्रहालय का हॉल किसी भोजपुरी गीत के प्रमोशन के लिए खचाखच भरा रहा और वह भी एक लोकभाषा आधारित वीरगाथा गीत के लिए. इस सांस्कृतिक संध्या में समाज, साहित्य, प्रशासन और सिनेमा की कई नामचीन हस्तियों ने भाग लिया.

“जब अच्छा सुनने को मिलेगा, लोग वही सुनेंगे” — मनीषा श्रीवास्तव

लगातार धारा के विपरीत भोजपुरी को अश्लीलता से जोड़ने वाली सोच से अलग अपनी मिट्टी की खुशबू लिए लोकगीतों को मोतियों की तरह चुनकर लोगों तक पहुंचा रही चर्चित गायिका मनीषा श्रीवास्तव ने भोजपुरी में गुणवत्ता आधारित गीतों की वित्तीय चुनौती पर चिंता जताते हुए भावुक होकर कहा:

“इतिहास और संस्कृति से जुड़े गीतों के लिए कोई फंडिंग नहीं करता. इस गीत को मैंने अपने स्तर पर, बिना किसी स्पॉन्सर के फंड किया है. लेकिन जब अच्छा सुनने को नही मिलेगा, लोग वही सुनेंगे जो भाषा और लोकगीत के नाम पर कुछ भी परोसा जा रहा है.”

उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा नहीं है कि लोग केवल खराब ही सुनते हैं लेकिन जब अच्छा चीज बनेगा ही नही तो लोग के समक्ष मौजूद वे खराब ही उनके एकमात्र ऑप्शन बन जाते हैं. मेरे लोकगीतों को मिले लाखों व्यूज इस बात का प्रमाण है कि लोग अच्छे लोकगीतों को सुनते हैं.

“सरकार देगी पूरा सहयोग” — पर्यटन मंत्री राजू कुमार सिंह

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पर्यटन मंत्री राजू कुमार सिंह ने मनीषा के साहसिक प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि “यह सिर्फ एक गीत नहीं, यह हमारी स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा को जीवित रखने का माध्यम है. ऐसे प्रयासों को सरकार और संस्कृति विभाग की ओर से हरसंभव सहयोग दिलाया जाएगा.”

वीरता की अमर गाथा: बाबू कुंवर सिंह

1857 के संग्राम में 80 वर्ष की आयु में अंग्रेजों से लोहा लेने वाले बाबू वीर कुंवर सिंह की वीरता, रणनीति और देशभक्ति को यह गीत एक नई पीढ़ी के सामने लाने का प्रयास है. गीत केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि इतिहास का दस्तावेज बनकर उभरा है.

भावनाओं से भरा आयोजन और संस्कृति का सम्मान

कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक अंगवस्त्र अर्पण से हुई. जगद्गुरु वामाचार्य संजयाचार्य श्री महाराज ने अभिनेत्री अक्षरा सिंह को ‘माँ की चुनरी’ भेंट कर आशीर्वाद दिया.

अक्षरा सिंह ने मंच से भावुक संवाद में कहा:
“अइसन गीत के नाम सुनब जा त केकरा सुनब?”
“कवनो गलती कहतानी का हम?” उनके शब्दों ने श्रोताओं में जोश भर दिया और हॉल तालियों की गूंज से गूंज उठा.

रचनात्मक टीम की कड़ी मेहनत पर्दे पर दिखी. गीत के शब्द से लेकर वीडियोग्राफी और एडिटिंग तक उत्कृष्टता से युक्त था. इसे अपनी रचनात्मकता से भरने वालों में मनीषा की सुरीली आवाज के साथ गीतकार: संजय चतुर्वेदी, संगीत: प्रभाकर पांडेय, कॉन्सेप्ट: सुमित श्रीवास्तव,निर्देशन: अभिषेक भोजपुरिया,कैमरा/संपादन: प्रकाश प्रजापति, पब्लिसिटी डिज़ाइन: सावन ग्राफिक्स, रिकॉर्डिंग: नितेश सिंह निर्मल, और मेकअप: आकाश की विशेष भूमिका रही.

कार्यक्रम का संचालन अभिषेक भोजपुरिया
और अतिथि स्वागत में सुमित श्रीवास्तव तन्मयता से लगे दिखे. कार्यक्रम के अंत मे आये अतिथियों को धन्यवाद लोकगायिका मनीषा ने दिया.

उल्लेखनीय रही उपस्थिति
भोजपुरी के इस गीत के लॉन्चिंग मौके पर
मुख्य अतिथि के रूप में जहां राजू कुमार सिंह, मा. मंत्री, पर्यटन विभाग( बिहार सरकार) की उपस्थिति देखी गयी वही इस मौके पर विशिष्ट अतिथियों में जगद्गुरु वामाचार्य सेवक संजयनाथ जी महाराज, पीठाधीश्वर-वामपीठ, अंजनी कुमार सिंह-महानिदेशक, बिहार संग्रहालय, डॉ. दिलीप जायसवाल-प्रदेश अध्यक्ष भाजपा, डॉ. संजय मयूख, उप-मुख्य सचेतक, बिहार विधान परिषद, अनिल शर्मा- मा. सदस्य, बिहार विधान परिषद, निवेदिता सिंह- मा. सदस्य, बिहार विधान परिषद, अशोक कुमार सिन्हा- अपर निदेशक, बिहार संग्रहालय, शशि प्रताप शाही- कुलपति, मगध विश्वविद्यालय जैसे शख्सियतों की उपस्थिति भी देखी गई जिसने कार्यक्रम को और भी भव्य बना दिया.

यह आयोजन केवल एक गीत की लॉन्चिंग नहीं, बल्कि भोजपुरी भाषा, गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का सामूहिक उत्सव बनकर सामने आया.

पटना से ओ पी पाण्डेय की रिपोर्ट

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