लेख्य मंजूषा साहित्य के क्षेत्र में गुरुकुल का कार्य कर रही है-रत्ना पुरकायस्थ




पढ़ते वक्त दिल मे डंक मारे, दंश मारे, जो समाज और पारिवारिक रूढ़िवादी सोच पर प्रहार करे-अनिल पतंग

लघुकथा के विकास के लिये फिल्मों का योगदान जरूरी- डॉ. अनीता राकेश

लघुकथा विमर्श सह लघुकथा चलचित्र का प्रदर्शन

कैमरा की भाषा में लघुकथा को हम क्लोजअप शॉट कहते हैं. उपन्यास को वाइड शॉट और कहानी को मिड शॉट कहा जाता है. जिसको पढ़ते वक्त दिल मे डंक मारे, दंश मारे, जो समाज और पारिवारिक रूढ़िवादी सोच पर प्रहार करे वही लघुकथा है. उक्त बातें वरिष्ठ साहित्यकार व लघुकथा फिल्मकार अनिल पतंग जी ने लेख्य मंजूषा के त्रैमासिक कार्यक्रम में कहा. द इंस्टिट्यूट ऑफ इंजीनियर भवन में आयोजित साहित्यिक संस्था लेख्य मंजूषा के जून 2022 के त्रैमासिक कार्यक्रम में लघुकथा विमर्श सह लघुकथा चलचित्र का प्रसारण किया गया. कार्यक्रम में उपस्थित अतिथि पटना दूरदर्शन की पूर्व निर्देशिका डॉ. रत्ना पुरकायस्था जी ने कहा कि सीखने की प्रक्रिया जीवनभर खत्म नहीं होती है. साहित्य के क्षेत्र में लेख्य मंजूषा पटना में गुरुकुल का कार्य कर रही है.

छपरा विश्वविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. अनीता राकेश ने लघुकथा चलचित्र प्रदर्शन पर अपनी बात रखते हुए कहा कि लघुकथा के विकास के लिये फिल्मों का योगदान जरूरी है. छोटी छोटी लघुकथा पर फ़िल्म बनने से एक दिन लघुकथा विशाल समुद्र बन कर सामने आएगा. आज के कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी जी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि लेख्य मंजूषा में अब कथा, शिल्प का उत्तरोत्तर विकास हो रहा है. लेख्य मंजूषा शुरू से नवोदित रचनाकारों को मंच प्रदान करने का साहसिक कार्य किया है. इसके लिए संस्था बधाई की पात्र है.

कार्यक्रम के शुरुआत में अनिल पतंग द्वारा निर्देशित तीन लघु फ़िल्म और लेख्य मंजूषा द्वारा निर्मित लघु फ़िल्म का प्रदर्शन सभागार में किया गया. डॉ.मीना कुमारी परिहार और रवि श्रीवास्तव जी द्वारा अंगवस्त्र देकर अतिथियों का स्वागत किया गया. दीप प्रज्वलन के बाद संस्था की त्रैमासिक पत्रिका साहित्यक स्पंदन का लोकार्पण किया गया. मंच संचालन दिल्ली से आई लेख्य मंजूषा की सदस्य पम्मी सिंह तृप्ति ने किया. स्वागत उद्बोधन संस्था के उपाध्यक्ष आदरणीय मधुरेश नारायण जी ने किया. संस्था के कार्य, संस्था की रूपरेखा को उन्होंने विस्तार से सबके समक्ष प्रस्तुत किया.

कार्यक्रम में संस्था की सदस्य अमृता सिन्हा जी की मौसी विभूति शरण जी अपने जीवन में पहली बार मंच से अपनी रचना का पाठ की. यह बेहद अविस्मरणीय पल सभी के लिए था. कार्यक्रम में संस्था के सदस्यों के अलावा साहित्यकार सिध्देश्वर जी, पर्यावरणविद मेहता नागेंद्र जी इत्यादि उपस्थित थें. कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन पूनम कतरियार जी ने किया.

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