कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा मे डुबकी क्यों?

आरा. कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर जिले भर के लोगों ने अलग-अलग घाटों पर गंगा में डुबकी लगा पूजा अर्चना की और सुख की कामना की. यह दिन श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है. वैसे तो कार्तिक पूर्णिमा में गंगा मईया सहित सभी देवों के पूजा की जाती है, लेकिन भगवान विष्णु एवं शिव भगवान को विशेष तौर पर याद किया जाता है.

शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर ने कार्तिक पूर्णिमा के ही त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध कर समाज को राक्षसी प्रवृत्ति से मुक्ति दिलाई थी, वही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था और सब की रक्षा की थी. इतना ही नही सिखों के गुरु गुरुनानक देव का भी जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही हुआ था.




गंगा में डुबकी क्यो?
कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा के घाटों पर पैर रखने की जगह तक नही रहता है. सालों वीरान रहने वाला तट मेले में तब्दील हो जाता है. अब सवाल यह उठता है कि आखिर क्या होता है इस दिन को खास जो सभी गंगा स्नान के लिए दूर-दूर से जुटते हैं. ऐसा माना जाता है कि अति शुभ दिन होने के कारण गंगा में स्नान से पापों और दुःख से मुक्ति मिलती है. गंगा में स्नान करने से सुख समृद्धि और वैभव प्राप्त होता है.

भोजपुर जिले के तमाम गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली. भक्ति भाव से स्नान के बाद गंगा मईया की पूजा अर्चना कर लोगों ने दीप भी दान किया. मां गंगा की पूजा अर्चना सिन्हा,केशवपुर घाट, एकौना घाट, महुली घाट ,बबुरा घाट सहित तमाम घाटों पर विधिवत तरीके से पूजा-अर्चना की दूरदराज से गंगा में स्नान करने के लिए अहले सुबह से ही घाटों पर भीड़ इक्कट्ठी हो गयी थी. जिले के कई स्थानों पर मेला भी आयोजन किया गया. भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन की टीम चप्पे-चप्पे पर तैनात दिखी. श्रद्धालुओं को कोई कष्ट ना हो इसका विशेष ध्यान दिया जा रहा था. एसपी सुशील कुमार ने संबंधित थानेदारों को विशेष दिशा निर्देश दे रखा था.

इस मौके पर बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर में भी काफी भीड़ देखी गई. जो गंगा स्नान नही कर पाए वे बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर के पास स्थित ब्रह्म सरोवर में स्नान कर बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ का दर्शन किया. इस मौके पर सपरिवार लोगों ने मंदिर प्रांगण में सत्यनारायण भगवान का कथा भी सुना.

मंदिर के मुख्य पुजारी व अध्यक्ष उमलेश पांडेय ने बताया कि इसी दिन भगवान ने त्रिपुरासुर का वध कर युद्ध मे विजय पाया था इसीलिए इसे देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है. उन्होंने यह भी बताया कि 12 मास के पूर्णिमा में सर्वश्रेष्ठ पूर्णिमा कार्तिक मास का ही माना गया इसलिए इस दिन काफी भक्तगण पूजा-पाठ के लिए यहां आते है. चारों ओर मेले का माहौल रहता है.

आरा से ओ पी पांडेय की रिपोर्ट