किस शहर के थे ‘कजरा मुहब्बत वाला,अंखियों में ऐसा डाला ‘ गीत के गीतकार

जरा दिमाग पर जोर डालिये याद आया ..


रवीन्द्र भारती




आरा: भोजपुर की धरती ने अपनी कोख से कई लालों को जन्म दिया है चाहे वो वशिष्ठ नारायण सिंह हो या फिर गीतकार शैलेन्द्र या इतिहासपुरुष बाबू वीर कुंवर सिंह सभी ने भोजपुर की धरती को गौरवान्वित किया है .


इन्हीं में से एक प्रसिद्ध गीतकार शमसुल हुदा बिहारी भी हैं.जिनका जन्म सन् 1922 को आरा में हुआ था. इनकी प्रारंभिक शिक्षा आरा में तथा उच्च शिक्षा प्रेसिडेन्सी कॉलेज, कोलकाता में हुई.शिक्षा प्राप्ति के पश्चात् कलकत्ते में ही आपने एक रबर फैक्टरी में सहायक मैनेजर के रूप में कार्य करना प्रारंभ किया. शमशुल हुदा बिहारी को न सिर्फ साहित्य से लगाव था बल्कि वे फुटबॉल के एक अच्छे खिलाड़ी भी थे। प्रसिद्ध फुटबॉल क्लब मोहनबगान के सभी खिलाड़ी भी उन्हें आरा के लाल नाम से जानते थे .उनके खेलने का अंदाज भी एकदम अलग था कोलकाता में रहने के कारण उन्हें बांग्ला भाषा एवं गीत संगीत का भी अच्छा ज्ञान हो गया था .

गीतकार शमशुल होदा बिहारी

कलकत्ता में रहने के दौरान उनकी मुलाकात प्रसिद्ध संगीतकार अनिल विश्वास से हुई। विश्वास साहब ने उन्हें मुंबई बुलाया। वे 1947 में मुंबई चले गये तथा फिल्मी दुनिया की चकाचौंध में संघर्ष करने लगे। धीरे-धीरे ओ०पी० नैय्यर, मो० रफी और आशा भोंसले से उनका संपर्क बढ़ता गया और उनकी पहचान फिल्मी दुनिया में एक गीतकार के रूप में बन गई . प्रसिद्ध फिल्म ‘शर्त’ (1953) में इनका लिखा गीत – “देखो वो चांद छुपके करता है क्या इशारे” फिर 1956 में, “ये हंसता हुआ कारवा जिंदगी का” 1966 में ‘ये रात फिर न आयेगी’ का “यही वो जगह है, वही वो फिजां है”, 1966 में ‘सावन की घटा’ का “जरा होले होले चलो”, 1968 में ‘किस्मत’ का “कजरा मोहब्बत वाला अखियों में ऐसा डाला’ आदि यादगार गीत काफी लोकप्रिय हुए।

शमसुल हुदा बिहारी ने लगभग 50-60 फिल्मों के लिए यादगार गीत लिखे. वे पहले बिहारी गीतकार थे जिन्होंने फिल्मी दुनिया में अपनी तथा अपनी मूल माटी आरा (बिहार) की अविस्मरणीय पहचान बनाई। इस महान गीतकार का निधन 25 फरवरी 1987 को मुंबई में हो गया था. बिहार और भोजपुर के लोग भले ही आज उन्हें भूल गए हो लेकिन एक पीढ़ी जो आज भी उनके गीतों को पसंद करती है गुनगुनाती है. ऐसे महान गीतकार को हम आधुनिकता की चकाचौंध में भूल चुके हैं .आइए उनके लिखे गीतों को आप भी सुनें और गुनगुनाएं
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देखो वो चांद छुपके करता है क्या इशारे
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यही वो जगह है, वही वो फिजां है”
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कजरा मुहब्बत वाला अखियों में ऐसा डाला

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