विदेशी बच्चों के साथ-साथ देश के बच्चों का ख्याल रखना भी जरूरी

एक साथ कई बच्चों ने दम तोड़ दिया. ऐसे में सरकार सक्रिय होती है. कभी डॉक्टर पर आरोप मढ़े जाते हैं तो कभी कोई और इस आरोप का शिकार होता है. तमाम कार्रवाई भी होती है, लेकिन इस कार्रवाई से उस माता-पिता को क्या मिलता है जिसका बच्चा इस दुनिया को ही छोड़ चुका होता? बच्चे देश का भविष्य होते हैं. ऐसे में इनकी देख-रेख गर्भ में रहते ही काफी सजग होकर की जाती है. एक बच्चा मां का ही नहीं बल्कि पूरे परिवार का प्यारा होता है. बच्चा अगर किसी वजह से दर्द में है तो पूरा परिवार परेशान हो जाता है. इस मुश्किल वक्त में डॉक्टर और दवा ही परिवार का सहारा होते हैं. लेकिन ये खबर हर किसी के लिए चौंकाने वाली है कि हम बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए जिस सीरप का प्रयोग करते हैं उसकी गुणवत्ता का कोई अता-पता ही नहीं है. और इससे भी बड़ी परेशान करने वाली खबर ये है कि अब जो सीरप विदेश जाएंगे उनकी जांच-पड़ताल सरकारी लैब में कराई जाएगी, लेकिन जो देश में अभी सीरप बिकेंगे उनके लिए ये व्यवस्था नहीं है. ऐसे में सवाल है कि क्या सरकार को देश के बच्चों की परवाह नहीं है? क्या हर दिन विकास की नई सीढ़ी पर चढ़ रहा देश अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर रहा है? इतनी बड़ी लापरवाही आखिर अब तक क्यों होती रही? अगर विदेशों में भारतीय सीरप पीने से बच्चे बीमार नहीं हुए होते और इनकी गुणवत्ता पर सवाल नहीं उठा होता तो इसकी
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