जहां कहीं भी रामलीला का मंचन हो बच्चों को अवश्य ले जायें: डॉ सुभाष कृष्णा

धूम मचा रहा है अमेजन पर संक्षिप्त रामलीला संवाद में हिंदी के साथ-साथ उर्दू के शब्द भी गाँव-शहर,नाट्य दल,समितियों द्वारा इसका सरलता से मंचन हो सके इस प्रकाशन के लिए मैं आभार प्रकट करता हूँ,माता-पिता,गुरुजन,पत्नी श्वेता,अपनी संस्था बिहार आर्ट थिएटर, उत्पल पाठक,आर.जे.शशि, आर.जे.उमंग, डॉ. निहोरा प्रसाद यादव, कुमार अभिषेक रंजन, उज्ज्वला गांगुली,श्री दशहरा कमिटी ट्रस्ट पटना एवं एमिटी विश्वविद्यालय पटना के कुलपति डॉ. विवेकानंद पांडेय का विशेष आभारी हूँ. लेखक की कलम से……… प्रिये पाठकों एवं रंगकर्मियों, वर्ष 2013 में जब मैंने पटना में रामलीला करने का मन बनाया,तब हम यह तय नहीं कर पा रहे थे कि इसे 10 दिन करें या फिर एक-दो दिन.फिर कुछ वरिष्ठ रंगकर्मियों से बात कर लगा कि अब समय के अनुसार हमें रामलीला को 3 घंटे में मंचित करना चाहिए. कारण था कि दर्शक प्रतिदिन आकर सभी प्रसंग देख नहीं पाते थे, इसलिए कुछ ऐसा किया जाये कि श्रीराम के जन्म से लेकर रावण वध तक उन्हें हम एक ही दिन में दिखा सके। फिर मैंने स्क्रिप्ट के लिए अपने रंगकर्मी मित्रों को देश भर में संपर्क किया,लेकिन ज्यादातर जगह 10 दिन की स्क्रिप्ट उपलब्ध थी। तब गुरु स्वर्गीय अजित गाँगुली और अरुण कुमार सिन्हा जी तथा हनुमान जी एवं तुलसीदास जी के आशीर्वाद व रेडियो मिर्ची के तत्कालीन कार्यक्रम प्रमुख उत्पल पाठक जी के उत्साहवर्धन पर मैंने खुद ही लिखने का मन बना लिया। उत्पल पाठक जो मूल रूप से बनारस निवासी और लीला प्रेमी हैं, उन्होंने काफी जानकारी दी. फिर स्क्रिप्ट तैयार हुई और 2013 एवं 2014 में रेडियो मिर्ची के
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