राज्य के 28 जिले बाढ़ प्रभावित की श्रेणी में आते हैं, जिनमें से 15 जिले अति प्रभावित माने जाते हैं.
दीपक कुमार,वरीय शोध पदाधिकारी
बिहार राज्य भौगोलिक, आर्थिक एवं सामाजिक रूप से एक बहुआपदा प्रवण क्षेत्र है. यदि केवल बाढ़ की बात करें, तो राज्य की लगभग 74% जनसंख्या और 73% क्षेत्रफल प्रतिवर्ष बाढ़ से प्रभावित होता है, जो कि देश के कुल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का 17% है.बिहार की प्रमुख नदियाँ गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला, भुतही बलान, महानंदा, मैची, अधवारा समूह की धाराएं और कोसी तिब्बत-नेपाल हिमालय से निकलकर तीव्र गति से बिहार के मैदानी इलाकों में प्रवेश करती हैं. इन नदियों के तटीय क्षेत्रों सहित गंगा नदी के किनारे बसे मध्य बिहार के बड़े हिस्से को हर वर्ष बाढ़ जैसी आपदा का सामना करना पड़ता है. वर्तमान में राज्य के 28 जिले बाढ़ प्रभावित की श्रेणी में आते हैं, जिनमें से 15 जिले अति प्रभावित माने जाते हैं.

इतिहास में 1987, 2004, 2008, 2017 और 2021 की बाढ़ों ने विशेष रूप से व्यापक जन-धन की क्षति पहुँचाई है. 2008 की कोसी त्रासदी, जो कुसाहा तटबंध टूटने के कारण आई, को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय आपदा घोषित किया गया था. इस आपदा के पश्चात केंद्र सरकार के साथ-साथ राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा राहत एवं पुनर्वास कार्यक्रम चलाए गए, जिनमें विश्व बैंक जैसी संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही.

प्रभावी बाढ़ प्रबंधन हेतु सरकार के प्रयास
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार ने बाढ़ जैसी आपदाओं से प्रभावी रूप से निपटने हेतु कई ठोस कदम उठाए हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (BSDMA) की स्थापना एवं आपदा प्रबंधन विभाग को सुदृढ़ बनाना
- अंतर-विभागीय समेकित कार्यक्रम का क्रियान्वयन एवं समन्वय
- राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) का गठन
- आपदा पूर्व सूचना प्रणाली को सशक्त बनाना
- बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में आश्रय स्थलों का निर्माण
- ऊँचाई वाले सुरक्षित स्थानों पर पक्के मकानों के लिए योजनाओं का संचालन
- सात निश्चय कार्यक्रम के अंतर्गत बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना
- ‘जीविका‘ परियोजना के अंतर्गत आजीविका संवर्धन
- प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को आपदा के समय संचालन योग्य बनाना
- तटबंधों का सुदृढ़ीकरण एवं रखरखाव, तथा स्थानीय निगरानी प्रणाली का सशक्तीकरण
जन-जागरूकता और प्रशिक्षण
बाढ़ से निपटने हेतु नागरिकों की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है. इसी उद्देश्य से बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जन-जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है, जिनमें शामिल हैं:
- बाढ़ के दौरान सुरक्षित स्थानों पर जाने की पूर्व तैयारी
- प्रतिवर्ष बाढ़ पूर्व पखवाड़ा का आयोजन
- मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों को आपदा के प्रति संवेदनशील बनाना
- सुरक्षित तैराकी कार्यक्रम
- आपदा मित्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों, एवं विभिन्न विभागों के कर्मचारियों का प्रशिक्षण
- स्थानीय कलाकारों द्वारा नुक्कड़ नाटक, लोकगीतों के माध्यम से संदेशों का प्रसार
- स्थानीय रेडियो, मोबाइल संदेश, लघु फिल्में, एवं होर्डिंग्स के माध्यम से जागरूकता
2024: बिहार की बाढ़ प्रबंधन में ऐतिहासिक सफलता

वर्ष 2024 में कोसी नदी में अब तक का सर्वाधिक जल प्रवाह दर्ज किया गया, जो कोसी बैराज की अधिकतम क्षमता के करीब पहुँच गया था. इसके बावजूद, किसी भी मानवीय जान का नुकसान नहीं हुआ, जो कि राज्य की पूर्व तैयारी, सूचना प्रसारण, जन-भागीदारी और प्रभावी समन्वय का परिणाम है.
यह उपलब्धि बिहार के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है और यह दर्शाता है कि राज्य अब बाढ़ जैसी आपदा से केवल जूझ नहीं रहा, बल्कि उस पर विजय प्राप्त कर रहा है. वर्तमान प्रणाली और प्रबंधन मॉडल को देश के लिए एक रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है.
pncdesk
