‘लाचार साबित हो रहा बिहार राज्य महिला आयोग’

By Amit Verma May 20, 2017

महिला सशक्तिकरण और दहेजमुक्त शादी की बात करने वाले मुख्यमंत्री महिला उत्पीड़न के मामलों के निष्पादन में फिसड्डी साबित हो रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की है कि जो शादी दहेजमुक्त होगी उसी समारोह में वे शामिल होंगे. लेकिन राज्य की महिलाओं के उत्पीड़न मामले के निष्पादन एवं महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए 2001 में गठित बिहार राज्य महिला आयोग लाचार साबित हो रहा है. ये बातें बिहार विधान सभा में विरोधी दल के मुख्य सचेतक अरूण कुमार सिन्हा ने कही. अरुण सिन्हा ने कहा कि बीते एक वर्ष से आयोग भंग है.




अरुण सिन्हा ने कहा कि महिला आयोग को भंग हुए एक वर्ष पूरे हो चुके हैं. एक वर्ष में 765 आवेदन दर्ज हुए हैं. इन आवेदनों पर न तो नोटिस भेजा गया है और न ही किसी प्रकार का संज्ञान लिया गया है जिसमें पीड़िता को न्याय मिल सके. आयोग के गठन हुए 16 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन अब तक आयोग द्वारा 18,525 महिलाओं को ही न्याय मिल पाया है जबकि आज भी लगभग 7 हजार मामले लंबित हैं.

अरुण सिन्हा ने कहा कि राज्य महिला आयोग के लिए प्रतिवर्ष डेढ़ करोड़ का बजट प्रस्तावित है. ऐसे में वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017-18 में राशि आवंटित है लेकिन आयोग में न तो अध्यक्ष है और ना ही सदस्य, जिस कारण बजटीय राशि का उपयोग नहीं हो पा रहा है.

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