पीएम के नाम एक पत्र; पेंशन के नाम पर ऐसा मजाक क्यों!

By Pnc Desk Aug 26, 2025 #Epfo #pension #PM MODI

खुला पत्र
माननीय राष्ट्रपति जी / प्रधानमंत्री जी
नमस्कार
ईपीएफ (EPFO) की त्रुटिपूर्ण पेंशन नीति की ओर आपका ध्यान आकृष्ट करने के लिए यह खुला पत्र लिख रहा हूं। निवेदन है कि इसे 81,48,490 ईपीएफ पेंशनधारकों की आवाज समझी जाये। मेरी उम्र 63 वर्ष है। मैं करीब 40 वर्षों से पत्रकारिता कर रहा हूं। इसमें 24 वर्ष तक मेरा इम्प्लाइज प्रोविडेंड फंड (ईपीएफ) में अंशदान जमा हुआ है। कई संस्थानों ने पीएफ नहीं काटा।
पीएफ में 58 वर्ष के बाद पेंशन की व्यवस्था है। मैंने अप्लाई किया तो पहली पेंशन के रूप में मुझे 3339 रूपये मिले हैं। 24 वर्ष पेंशन फंड में पैसे जमा लेने के बाद मुझे यह पेंशन राशि तय हुई है। कई साथियों को, जो मुझसे पहले रिटायर हुए, उन्हें मात्र 1100 रूपये ही पेंशन मिला रहा है। क्या बुढ़ापे में इस राशि से पति -पत्नी का गुजारा हो सकता है ? क्या आपको नहीं लगता कि यह एक अमानवीय व्यवस्था है ? क्रूर मजाक है ? यह कैसा कानून बना कर रखा है ?

दूसरी तरफ 5 वर्ष के लिए कोई व्यक्ति विधायक या सांसद रहता है तो उसे 31 हज़ार से 40 हज़ार तक मासिक पेंशन दिया जाता है। इसके अलावा मुफ्त विमान और रेल यात्रा, मुफ्त चिकित्सा आदि की सुविधा भी दी जाती है। मजे की बात यह है कि उनके वेतन से कोई प्रोविडेंड फंड नहीं काटा जाता है। जब मन में आता है संसद और विधानसभाएं अपने सदस्यों और पूर्व सदस्यों के वेतन और पेंशन में वृद्धि कर लेती हैं।




बिहार में तो विधायक की शपथ लिए बिना ही पूर्व हो गए सदस्यों को भी पूर्व विधायक की सभी सुविधाएं दी जा रही हैं। आपके पास अधिकार है तो क्या आप मनमाने फैसले करेंगे ? बड़ी संख्या में सरकारी सेवकों और सांसदों / विधायकों को एक लाख रूपये से अधिक पेंशन राशि दी जा रही है। क्या आपको नहीं लगता की यह जरुरत से ज्यादा है ? आखिर दो व्यक्तियों का जीवन यापन भत्ता कितना होना चाहिए ?

मान्यवर,
ईपीएफ सदस्यों की सुध कौन लेगा ? आप देश के सभी नागरिकों की चिंता करते हैं, कभी हम पेंशनभोगियों के बारे में भी सोचें। यह सिर्फ मेरे अकेले की चिंता नहीं है, बल्कि 81,48,490 ईपीएफ पेंशनधारकों की पीड़ा है, जिससे आपको अवगत करा रहा हूं।ईपीएफ पेंशन के नाम पर जितनी राशि दी जा रही है उससे कई गुना अधिक राशि मंत्रियों/ विधायकों के आवासों की साज सज्जा पर हर वर्ष खर्च किया जाता है। माना वह जरुरी है लेकिन हमें भी सम्मान पूर्वक जीवन जीने का हक़ तो मिले ?

महोदय,
पेंशन क्षेत्र में अनेक विसंगतियां हैं। इससे आप भी इंकार नहीं करेंगे कि निजी क्षेत्र हो या सरकारी, एक समन्वित और न्यायसंगत पेंशन नीति की सख्त जरुरत है। न किसी को बहुत ज्यादा न किसी को बहुत कम, पेंशन नीति ऐसी होनी चाहिए। पेंशन की राशि इतनी जरूर होनी चाहिए की पति -पत्नी का बुढ़ापा आराम से गुजरे। उन्हें किसी से मदद लेने की जरुरत न पड़े। देशहित में आपने कई बड़े और कठोर फैसले लिए हैं। हर वर्ग की चिंता की है। हमारी भी चिंता करेंगे, इसी भरोसे से आपको यह पत्र लिखा है।
उम्मीद है कि नयी पेंशन नीति लाने पर आपकी सरकार तत्काल निर्णय लेगी और तबतक के लिए ईपीएफ पेंशनधारियों को कमसे कम 50 हज़ार मासिक पेंशन की व्यवस्था करेगी।
उम्मीद और आदर के साथ
प्रवीण बागी
पटना

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