पटना।। मंगलवार 16 सितंबर को “आजोन स्तर के परिरक्षण का अन्तर्राष्ट्रीय दिवस” (International Day for the Preservation of OZONE LAYER) है. पृथ्वी के समतापमंडल (Stratosphere) में स्थित ‘आजोन परत’ जो सूर्य से पृथ्वी पर आने वाली घातक पराबैगनी किरणों को रोकती है, के परिरक्षण हेतु विश्व भर में जागरूकता अभियान चलाया जाता है. इस वर्ष ओजोन दिवस के अवसर पर दिया गया थीम है:- “From Science to Global Action”.

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा इस अवसर पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी में डॉ. डी. के. शुक्ला, अध्यक्ष, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षदः सदस्य सचिव नीरज नारायण, भा.व.से. एवं पर्षद के सभी वैज्ञानिक एवं अभियंतागण सहित अन्य लोगों ने भाग लिया. इस संगोष्ठी के माध्यम से ओजोन परत एवं इसके संरक्षण हेतु व्यक्तिगत स्तर पर किये जाने वाले व्यवहारिक बातों से अवगत कराया गया.

दिसम्बर, 1994 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में लिए गये निर्णय के आलोक में प्रतिवर्ष 16 सितम्बर को “International Day for Preservation of Ozone Layer” के रूप में मनाते हैं. इस दिवस को “विश्व ओजोन दिवस” भी कहते हैं.

पर्षद के वैज्ञानिक सलाहकार, एस.एन. जायसवाल द्वारा “विश्व ओजोन दिवस” पर एक व्याख्यान दिया गया. उन्होंने ओजोन दिवस, 2025 के थीम “From Science to Global Action” की पृष्ठभूमि में वैज्ञानिकी शोध, ओजोन परत एवं इसके विघटन करने वाले पदार्थों एवं इसके चरणबद्ध तरीकों से हटाने से संबंधित वैश्विक एवं राष्ट्रीय स्तर पर किये गये प्रयासों के संबंध में जानकारी दी गयी. उन्होंने बताया कि मांट्रियल प्रोटोकाल जो एक अन्तर्राष्ट्रीय संधि है, के आलोक में केन्द्र सरकार द्वारा “The Ozone Depleting Substances (Regulation and Control) Rules, 2000” अधिसूचित किया गया है. इस नियमावली के द्वारा आजोन क्षयकारी पदार्थों (ODS) का उत्पादन, निर्यात, बिक्रय, आयात आदि को विनियमित किया गया है. मांट्रियल प्रोटोकाल के विभिन्न संशोधन के आलोक में इस अधिसूचना में भी प्रसांगिक संशोधन किये गये हैं.

राज्य पर्षद् के वैज्ञानिक सलाहकार एस.एन. जायसवाल ने अपने सम्बोधन में बताया कि पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है, जहाँ जीवन यापन हेतु पर्याप्त वायु, जल एवं भोज्य सामग्रियाँ उपलब्ध है. मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के अविवेकपूर्ण उपयोग के कारण विभिन्न पर्यावरणीय चुनौतियाँ हमारे सामने आ रही है.
उन्होंने वायुमंडल के विभिन्न स्तरों ट्रोपोस्फियर, स्ट्रेटोस्फियर, मेसोस्फियर, थर्मोस्फियर, एक्सोस्फियर आदि की चर्चा करते हुए बताया कि मानवीय गतिविधियों के कारण ट्रोपोस्फियर में भी पराबैगनी किरणों के विकिरण से क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) के विघटन से ओजोन के लाखों अणुओं का क्षय हो जाता है. अतः इसके कारणों को रोकने का प्रयास करना होगा.
सही दिशा में है ओजोन परत की रिकवरी
उन्होंने यह भी बताया कि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर वैज्ञानिक सामुदायिक पैनल के नवीनतम अपडेट ने पुष्टि की है कि ओजोन परत की रिकवरी सही दिशा में है और अंटार्कटिका में ओजोन का स्तर लगभग 2066 तक 1980 के स्तर पर, आर्कटिक में लगभग 2045 तक और वैश्विक औसत के अनुसार लगभग 2040 तक वापस आने की उम्मीद है.
परिचर्चा में पर्षद के वैज्ञानिक डॉ. नवीन कुमार, अरूण कुमार, नलिनी मोहन सिंह एवं डॉ रचना सिंह ने भी भाग लिया.
pncb
