निगरानी का कसा शिकंजा

By Amit Verma Mar 6, 2017

छात्रवृति घोटाले में निगरानी ने कसा शिकंजा

फर्जी स्कूलों के नाम पर बैंकों के जरिए हुई बंदरबांट

वर्ष 2014-15 व 2015-16 में छात्रवृति के नाम पर बक्सर जिले में हुए दो करोड़ के घोटाले में निगरानी ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. निगरानी ब्यूरो द्वारा जिले के करीब 50 छात्रों से पूछताछ की जा चुकी है. पूछताछ से लौटे छात्रों की मानें तो निगरानी ने सख्ती बरतने के संकेत दिए हैं.
इस सूचना से जिले के शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है. जांच की जद में कई ओहदेदार भी आएंगे. बता दें कि पिछड़े व दलित बच्चों का हक लूटने के लिए फर्जी नामों से स्कूल के एकाउंट खोले गये थे. इसमें कल्याण विभाग के अधिकारी पर भी गाज गिर चुकी है. नियमों के विरुद्ध विभाग का एकाउंट निजी बैंक में खोला गया था और बाद में उसी एकाउंट से घोटाले की रकम फर्जी स्कूलों के नाम पर ट्रांसफर किये गए थे. इससे मामले में केनरा, विजया, एक्सिस व सेंट्रल बैंक के तत्कालीन बैंक प्रबंधक समेत जिला कल्याण पदाधिकारी व जिला कार्यक्रम पदाधिकारी लेखा व योजना से स्पष्टीकरण मांगा गया था. जिला कल्याण पदाधिकारी समेत 19 लोगों पर FIR किया गया था. अब तक दो लोग जेल भी जा चुके हैं. डीएम रमण कुमार द्वारा DDC की अध्यक्षता में गठित जांच समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपने के बाद अनियमितता पाए जाने पर कल्याण विभाग के तत्कालीन लिपिक समेत फर्जी विद्यालय और इन विद्यालयों का संचालन कर रही एजेंसी के लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी.
ऐसे हुआ था घोटाले का खेल
जिले में छात्रवृत्ति के नाम पर हुए फर्जीवाड़े में सबकुछ फर्जी तरीके से किया गया था. जिन विद्यालयों के नाम पर छात्रवृत्ति की राशि बांटी गयी, वे विद्यालय धरातल पर थे ही नहीं. इन फर्जी विद्यालयों के संचालक का खाता तक बैंक में मौजूद था. बकायदे बच्चों के नाम भी दर्ज थे, जिनके नाम पर पैसों का आवंटन मंगाया गया है. उसी सूची के आधार पर छात्रों से निगरानी के अधिकारियों ने पूछताछ करना शुरू किया है. 
निजी बैंक के जरिये हुआ था भुगतान
निगरानी की जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि समाज कल्याण विभाग के खाते निजी बैंक से संचालित हो रहे थे और इसी के माध्यम से फर्जी स्कूलों के नाम पर भुगतान हुआ था. फर्जी स्कूलों ने अपने फर्जी खाते केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक व विजया बैंक में खोले थे. जांच में पता चला था कि सभी स्कूलों के प्रस्तावकों के नाम एक लेकिन, प्राचार्य के नाम अलग-अलग थे. जिससे जाहिर है कि पूरे सुनियोजित तरीके से घोटाले की साजिश रची गयी.
रिपोर्ट- बक्सर से ऋतुराज

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