भोजपुरी अध्ययन केंद्र में हुआ ‘भोजपुरिया कैलेंडर’ का लोकार्पण, भारतेंदु पर हुआ विमर्श
वाराणसी।। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के भोजपुरी अध्ययन केंद्र में 7 मई को ‘भोजपुरी जनपद, लोकजागरण और भारतेंदु हरिश्चंद्र’ विषय पर एक विशेष व्याख्यान और ‘भोजपुरिया कैलेंडर’ का लोकार्पण समारोह आयोजित हुआ यह कार्यक्रम भिखारी ठाकुर व्याख्यानमाला की श्रृंखला के तहत आयोजित किया गया था.

कार्यक्रम का संचालन आकृति विज्ञा अर्पण ने भोजपुरी भाषा में किया. उद्घाटन सत्र में प्रो. प्रभाकर सिंह ने स्वागत वक्तव्य देते हुए भारतेंदु हरिश्चंद्र को खड़ी बोली और जनपदीय भाषाओं के संगम का अग्रदूत बताया.

इस अवसर पर चित्रकार संजीव सिन्हा द्वारा निर्मित विश्व के पहले भोजपुरी कैलेंडर (कैथी लिपि में) का लोकार्पण हुआ. संजीव सिन्हा ने बताया कि यह परियोजना दो वर्षों से निर्माणाधीन थी और यह कैलेंडर न केवल कला, बल्कि लोकजीवन की भावना को भी समाहित करता है. उन्होंने कहा कि भोजपुरी कला में वीर रस की प्रमुखता है, श्रृंगार का अभाव है, और यह स्थानीय भूगोल व संस्कृति से गहराई से जुड़ी हुई है. उन्होंने सर्जना न्यास की टीम, शोध संवाद समूह और आयोजनकर्ताओं का आभार प्रकट किया.

चंदन श्रीवास्तव ने कैलेंडर की बहुभाषिक विशेषताओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह कैलेंडर भाषायी समरसता का प्रतीक है. उन्होंने यह भी कहा कि भोजपुरी भाषा को ज्ञान परंपरा में अपना सक्रिय योगदान देना चाहिए.
प्रो. निरंजन सहाय ने 13वीं सदी के कवि रूमी के जीवन की घटना का हवाला देते हुए भारतेंदु की साहित्यिक प्रतिभा को रेखांकित किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. बलराज पांडेय ने की.
यह आयोजन भोजपुरी भाषा, संस्कृति और साहित्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है.
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