‘लालू -तेजस्वी दलित और आदिवासियों के सबसे बड़े विरोधी’

पक्ष-विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप

अंबेडकर दलित-आदिवासी अधिकार संवाद’ सिर्फ दिखावा’

‘राजद का दावा, नहीं बनेगी एनडीए सरकार




पटना।। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता  प्रभाकर कुमार मिश्र ने राजद के ‘अंबेडकर दलित-आदिवासी अधिकार संवाद’ को लेकर तेजस्वी यादव पर जोरदार तंज कसते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ‘नौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को’ वाले कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं. मिश्र ने कहा कि  15 वर्षों के शासनकाल में तेजस्वी के माता-पिता ने दलित और आदिवासियों के लिए कौन-सा काम किया? माता-पिता ने दलित और आदिवासियों की हकमारी की और बेटा दलित और आदिवासियों से संवाद करने चला है. यह पॉकेटमारी करने के बाद फटे पाकेट की सिलाई करने जैसा है. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि तेजस्वी ने स्कूली विद्या तो सीखी नहीं, अब ठगविद्या का अभ्यास कर रहे हैं. लेकिन, बिहार कोई अभ्यास की जगह नहीं है. अपनी ठगविद्या का अभ्यास कहीं और करें. सच यह है कि लालू -तेजस्वी दलित और आदिवासियों के सबसे बड़े विरोधी हैं.

प्रभाकर मिश्र ने कहा कि लालू-तेजस्वी दलित और आदिवासियों के सच्चे हितैषी हैं, तो क्यों नहीं किसी दलित या आदिवासी नेता को राजद का अध्यक्ष बना देते? क्यों नहीं किसी दलित या आदिवासी का नाम अपनी पार्टी की तरफ से महागठबंधन के सीएम कंडिडेट के रूप में आगे करते? ये तो न लालू कर सकते हैं और न ही तेजस्वी. पिता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष और बेटा महागठबंधन का सीएम उम्मीदवार होने के लिए हाथ-पैर मार रहा है…. और करेंगे ‘अंबेडकर दलित-आदिवासी अधिकार संवाद’.

राजद का दावा , नहीं बनेगी अब एनडीए सरकार

इधर राजद का दावा है कि आने वाले समय में बिहार में खटारा और नाकारा सरकार नहीं बनने जा रही है, क्योंकि बिहार के नौजवानों का विश्वास और समर्थन तेजस्वी प्रसाद यादव के सकारात्मक सोच और सकारात्मक दृष्टि के साथ है. राजद के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने कहा कि तेजस्वी यादव ने 17 महीने के कार्यकाल में महागठबंधन सरकार के माध्यम से साढे 5 लाख के करीब नौकरियां दी और 3 लाख से ऊपर रिक्तियां छोड़कर आए, जिसे अब तक डबल इंजन सरकार ने भरा नहीं है बिहार में वर्तमान में जो सरकार चल रही है यह नौजवानों के सोच के खिलाफ काम करने वाली सरकार है नौजवानों को लाठियां के प्रहार और पुलिसिया अत्याचार के माध्यम से उनकी आवाजें दबाई जा रही है, तभी तो भाजपा कार्यालय को बैरिकेडिंग करके उनकी आवाज को सुनने से इनकार किया जा रहा है. जबकि लोकतंत्र में पार्टियां जनता की बातें और जनता की आवाज नहीं सुनती है, तो इससे स्पष्ट हो जाता है कि सरकार जन विरोधी और नौजवान विरोधी है.

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