एक सितारा जो चांद बन गया-शीतांशु भारद्वाज

By pnc Dec 6, 2016

स्मृति शेष नहीं एक शुरूआत

हिट एंड रन का हुआ शिकार




शीतांशु भारद्वाज की याद में एक स्कालरशिप की घोषणा

पिता ने की घोषणा छात्रवृति मिलती रहेगी सदा 

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बहुदेशिय साफ्टवेयर कम्पनी साँफ्ट ऐन्ट द्वारा काँरपोरेट जगत में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अपने मार्केटिंग एग्जेक्यूटिव शीतांशु भारद्वाज की याद में एक स्कालरशिप की घोषणा की गयी है जो अपने आप में एक कर्तव्यनिष्ठ और प्रतिभाशाली युवक को सम्मान देने की शुरुआत हुई है. एक वैसे छात्र के रूप में प्रत्येक वर्ष उपरोक्त संस्थान के एक ट्रेनिज औफिसर को उच्च स्तरिय प्रशिक्षण के लिए होनहार इंजिनियर को विदेश में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा जो शीतांशु भारद्वाज के चांदनी में चार लगाएंगे…”।

जी, हाँ…..

एकमात्र पुत्र व अपने माता-पिता के दुसरी संतान शीतांशु आर० के० मिशन विद्यापीठ, देवघर से दसवीं, डी०पी०एस०, आर०के०पुरम,दिल्ली से बारहवीं , मणीपाल इन्स्टिच्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से मेकैनिकल अभियंत्रण में स्नातक, जींदल स्टिल, तथा लौर्सन ऐण्ड ट्यूबरो कम्पनी में बतौर ट्रेनिज इंजिनियर कार्य करनें के उपरांत बहुदेशिय कम्पनी में बातौर मार्केटिंग एग्जेक्यूटिव , बैंगलुरु में कार्यरत था शीतांषु. 16 नवम्बर की रात जब वो कार्यालय से घर लौट रहा था तब मनहुस काली रात के स्याह नागिन जैसी सड़कों ने हिट एंड रन के मार्फत इस गुलाब को निगल लिया…।

शीतांशु भारद्वाज उनके पिता डा० पन्नगभूषण द्विवेदी ( सम्प्रति- हड्डी रोग विशेषज्ञ एंव व्याख्याता पाटलीपुत्र मेडिकल काँलेज , धनबाद,झारखण्ड ) एंव माता- डा० गीता मिश्र (सम्प्रति- स्त्री रोग विशेषज्ञ एंव सी० एम० ओ०, दुमका)…..इनको कभी विश्वास नहीं था कि उनके एकलौते प्रतिभाशाली बेटे को काल अचानक निगल जाएगा लेकिन होनी को जो मंजूर.शीतांशु के माता पिता देवघर में कार्यरत है और भोजपुर जिले के धोबहां बाजार केसलेमपुर के  रहने वाले हैं.

शीतांशु भारद्वाज एक प्रतिष्ठित इंजिनियर के साथ ही एक बहुत ही उम्दा कलाकार भी था जिसने  अपनी गायकी के कई आयाम स्थापित करते हुए लाखों दिलों में अपनी जगह बनाई हैं .शीतांशु भारद्वाज अपनी गायकी के वजह से एक उम्दे गायक एंव अपनी कार्य शैली में एक उम्दे इंजिनियर के तौर पर सदैव याद किया जाएगा.

नमन माँ की कोख एंव जिंदादिल परिवार को……

शीतांशु ने अपने पीछे एक जिंदादिल पिता, माँ, एंव बहन डा० अपूर्व निर्मल को छोड़ गया है.इस परिवार को भी समाज में उत्कृष्ट नमुनें के लिए सदैव याद किया जाएगा जिसनें उपरोक्त छात्रवृत्ति में भी अपनी सहभागिता एंव भरपुर योगदान का समर्थन दिया है .

” ना रोको चाँद को

  चमकनें दो दमकनें दो

  स्वागत है तुम्हारा हर रुप में

  सुबकनें दो विहसनें दो…..”

-चन्द्रभूषण

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