इप्टा पर फ़ासिस्ट हमला, अधिनायकवादी प्रवृति, गुंडागर्दी है: अरुण कमल

By pnc Oct 7, 2016

“आज देश में इस तरह का माहौल बनाया जा रहा है कि जैसे हम सोच रहे हैं, जैसे हम खा रहे हैं, पी रहे हैं वैसे ही आप सोचें. ये अधिनायकवादी प्रवृति है, गुंडागर्दी है. जिस मध्य प्रदेश के इंदौर में इप्टा के राष्ट्रीय सम्मलेन पर फ़ासिस्ट हमला हुआ, उसी मध्यप्रदेश में हरिशंकर परसाई को भी पीटा गया था. यह हमारे लिए चुनौती है कि हमें वर्गसंघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए काम करना चाहिए. RSS इस देश का सबसे ख़तरनाक फ़ासीवादी गिरोह है और यह देश की सरकार को नियंत्रित करने का काम कर रही है.” ये बातें सुप्रसिद्ध कवि अरुण कमल ने इंदौर में हुए भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के 14वें राष्ट्रीय सम्मेलन पर हुए फासीवादी हमले के खिलाफ  कालिदास रंगालय में आयोजित प्रतिरोध सभा में बोलते हुए कहा.

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प्रख्यात कवि आलोकधन्वा ने अपने सम्बोधन में कहा “जब हमने दूसरे विश्वयुद्ध में फासीवादी ताकतों को लड़कर पराजित किया तो अब भी क्यों न लड़ सकते. इंदौर में इप्टा के राष्ट्रीय सम्मेलन करने वाले आर.एस.एस  जैसे संगठनो की  आजादी के आंदोलन में कोई भूमिका न थी, इससे जुड़े लोगों ने महात्मा गांधी की उस समय हत्या की जब वे प्रार्थना करने जा रहे थे.ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है ऐसे लोग हमारी साझी विरासत पर हमला करने जा रहे हैं.”चर्चित डाक्टर डा सत्यजीत  ने कहा “आर.एस. इस बजरंग दल जैसे  धर्म व् देश विरोधी लोग आज देशभक्ति की बात कर रहे हैं.”

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कार्यक्रम की शुरुआत में इंदौर के राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल प्रतिनिधियों की ऒर से तनवीर अख्तर ने पूरे घटना का विस्तार से ब्यौरा देते हुए बताया कि “सबके लिए एक सुन्दर दुनिया के संकल्प के साथ भारतीय जननाट्य संघ (इप्टा) का 14वां राष्ट्रीय सम्मेलन 02 अक्टूबर, 2016 से 04 अक्टूबर, 2016 तक इंदौर में आयोजित किया गया था, जिसमें देश के 22 राज्यों से 800 से अधिक प्रतिनिधि/कलाकारों ने भाग लिया. राष्ट्रीय सम्मेलन के अंतिम दिन 04 अक्टूबर, 2016 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर. एस. एस.) समर्थित भारत स्वाभिमान संगठन के कार्यकर्ताओं ने आनंद मोहन माथुर सभागृह (ए. के. हंगल रंग परिसर) में चल रहे संगठन-सत्र पर हमला कर सम्मेलन को बाधित करने का प्रयास किया. सभागृह में उपस्थित इप्टाकर्मियों के सशक्त प्रतिरोध की वजह से फासिष्ट ताकतों को वहां से भागना पड़ा.”इस अवसर पर पूरे घटना की वीडियो क्लिपिंग भी दिखाई गयी.वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी अनिल अंशुमन ने अपने  संबोधन में कहा ” आज पुरे देश में लिखने पढ़ने वालों पर हमला काफी बढ़ गया है.हमे इसके विरुद्ध एकजुटता की आवश्यकता  है.” चर्चित साहित्यकार तैय्यब हुसैन पीड़ित ने कहा “आज देश में साम्प्रदायिक ताकतें हिटलर और मुसोलिनी की विचारधारा से प्रेरणा ले रहे हैं. इसलिए ज़रूरी हो गया है कि नाटक करने, गीत गाने , सांस्कृतिक कार्यो के अलावा हम प्रतिरोध को संगठित करें.”

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लोक नर्तक विश्वबंधु जी ने इंदौर की घटना की घोर करते हुए कहा “मैं 1954 से ही इप्टा के जुड़ा हुआ हूँ; लेकिन इंदौर जैसी घटना जिसमे नाटक करने वालो को दबाया जाए ना कभी ऐसा देखा और ना सुना.”वरिष्ठ रंगकर्मी जावेद अख्तर ने इंदौर के समाचार पत्र “प्रभात किरण” में प्रकाशित ख़बर “इस इप्टा से कैसे निपटा जाए” का पाठ किया और प्रतिरोध सभा में एकजुटता सम्बंधी प्रस्ताव पेश करते  हुए  कहा “हमें फासिस्स्ट ख़तरे के ख़िलाफ़ एकजुट होकर बड़ी गोलबंदी करनी होगी”.सभा को वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी कुमार अनुपम, सामजिक कार्यकर्ता रूपेश, युवा रंगकर्मी अजीत कुमार, वरीय नाटककार व निर्देशक हसन इमाम, युवा अभिनेता सुमन कुमार, सामजिक कार्यकर्ता रवींद्र नाथ राय आदि ने सम्बोधित किया.प्रतिरोध सभा में बड़ी संख्या में रंगकर्मी, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता शामिल थे. प्रमुख लोगों में अनीश अंकुर, राजन कुमार सिंह, फ़ीरोज़ अशरफ खां, मोना झा, विनोद कुमार, कुमुद कुंदन, विशाल तिवारी, रंजीत, गठन गुलाल, सरफ़राज़, उषा वर्मा, दीपक कुमार,  कथाकार  शेखर, विनय, दीपक, गुलशन, विक्रांत, अभिषेक शर्मा शामिल हैं. प्रतिरोध सभा में बिहार आर्ट थिएटर, नटमंडप, प्रेरणा, हिरावल, किसलय, जन सांस्कृतिक मंच, सुरांगन, अभियान, विहान सांस्कृतिक मंच, अक्षरा आर्ट्स, जनविकल्प, बिहार एप्सो,अल खैर, पुनश्च, पटना सिटी इप्टा, पटना इप्टा से जुड़े संस्कृतिकर्मियों, कलाकारों ने भाग लिया. सभा का संचालन युवा रंगकर्मी जयप्रकाश ने किया.

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