अनसुलझे सवाल: हिन्दी के लिए 2 क्यों दबायें, गाड़ियों के नंबर प्लेट हिन्दी में क्यों नहीं!

किसी स्त्री के माथे पर जैसे सजती बिंदी
वैसे ही अच्छी लगती है हमें हमारी हिंदी
..

हिन्दी दिवस पर वैशाली से हिन्दी के एक शिक्षक प्रेमराज मातृभाषा की खासियत बतायी है, साथ ही कुछ बेबाक सवाल भी उठाए हैं. प्रेमराज कहते हैं कि अपने मन की बातों, मन के जज्बातों के अभिव्यक्ति के लिए हमें भाषा के किसी ना किसी रूप का सहारा लेना पड़ता है. चाहें वह भाषा लिखित रूप में हो या मौखिक रूप में. अपने सुख, दुख, मनोभाव को बेहतर ढंग से व्यक्त कर पाने के लिए मेरे समझ से हिंदी से बेहतर कोई भाषा नहीं हो सकती.




सामाजिक समरसता एवं एकता को प्रदर्शित करने वाली वह भाषा जहां कोई छोटा बड़ा नहीं होता,
वह भाषा जहां एक आधे शब्द को सहारा देने के लिए दूजा तैयार होता है ,
वह भाषा जो दुनिया के सभी भाषाओं के शब्दों को अपने अंदर ऐसे समाहित कर लेती है कि वह भी शब्द अपने मूल भाषा को छोड़कर हिन्दी का ही हो जाता है.

सामाजिक , सांस्कृतिक , आध्यात्मिक रूप से धनी यह भाषा आज समाज में उपेक्षित होती जा रही है. अंग्रेजी के चकाचौंध में हम अपनी मूल भाषा को भूल रहे. आज समाज का एक बड़ा वर्ग संस्कृत को तो पूर्णतः भूल चुका है और वह हिंदी को एकदम साधारण भाषा मानते हुए उसकी भी उपेक्षा कर रहा.

विद्यार्थी वर्ग भी हिंदी की किताबों को पढ़ने में उतनी दिलचस्पी नहीं रखते है और वे मानते है कि किसी भी तरह हम तो इसमें पास तो हो ही जाएंगे. एक बहुत बड़ा शिक्षित वर्ग आज भी हिंदी में लिखने में काफी अशुद्धि करते है जो काफी चिंताजनक है.

हिन्दुस्तान में हिन्दी के लिए 2 क्यों दबायें!

आज भी हमें कॉल पर हिंदी के लिए 2 दबाना पड़ता है, गाड़ी के नंबर प्लेट पर हिंदी में लिखने पर चालान काट दिया जाता है और हिंदी में मुकदमा दर्ज करने पर कोर्ट से मुकदमा को सुनने से इनकार कर दिया जाता है. इसमें अधिक दोष हमारी सरकार का है और काफी हद तक राजनीति ने हिंदी को गर्त में धकेलने का काम किया है.

अगर हमें वास्तव में देश की प्रगति चाहिए तो हमें हिंदी भाषा में ही अपने दैनिक कार्यों , सरकारी कार्यों का निष्पादन करना चाहिए.

pncb

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