“हरित बिहार बनाना है- नया बिहार बनाना है”

पटना।। पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन-सामान्य विशेषकर भावी पीढ़ी में इसकी चेतना अभिवर्धित करने के उद्देश्य से बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा आज पटना में आयोजित मुख्य कार्यक्रम का उद्घाटन माननीय मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार डॉ सुनील कुमार द्वारा किया गया.

इस अवसर पर मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार डॉ. सुनील कुमार ने अपने संबोधन कहा कि प्लास्टिक के खतरों से अपने जीवन को बचायें, क्योंकि प्लास्टिक उत्पादों का विघटन नहीं होता है. जलाये जाने पर विषाक्त गैसें उत्सर्जित हाती हैं. जब कृषि भूमि, नदी नालों में फेंका जाता है तो जमीन की उर्वरा शक्ति का क्षय होता है. नाले अवरूद्ध होते है, पशुधन द्वारा निगले जाने पर उनका जीवन खतरे में पड़ जाता है.




राज्य सरकार द्वारा कार्रवाई करते हुए क्रमशः अधिसूचना दिनांक 24 अक्टूबर, 2018 से राज्य के शहरी तथा दिनांक 11 दिसम्बर, 2018 से राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में चिन्हित प्लास्टिक कैरी बैग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया फिर 01 जुलाई, 2022 के प्रभाव से एकल उपयोग वाले उन्नीस चिन्हित उत्पादों को भी प्रतिबंधित किया गया है. ऐसे उत्पादों पर लगे प्रतिबंध के बारे में जन-चेतना फैलाने की जरूरत हैं.

उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि बिहार में हरित आवरण बढ़ाने का लगातार प्रयास किया जा रहा है. वर्तमान में राज्य में 12.55 प्रतिशत वन क्षेत्र है. कृषि रोड मैप के तहत वानिकी किसान योजना’ की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि किसान अपने रैयती भूमि पर पेड़ लगा कर आर्थिक लाभ भी ले सकते है. वृक्ष, इसके फल आदि भी उन्हीं की सम्पति होगी. जल जीवन हरियाली योजना द्वारा भूगर्भीय जल का स्तर सुधरा है. उन्होंने बताया कि प्रधान मंत्री के आ‌ह्वान पर ‘एक पेड़ माँ के नाम’ के तहत बिहार राज्य में 4 करोड़ 24 लाख पेड़ लगाये गये हैं.

इस अवसर पर उन्होंने एक नारा दिया हरित बिहार बनाना है- नया बिहार बनाना है.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार सरकार डॉ. हरजोत कौर बम्हरा गा.प्र.श्रे., अपने संबोधन में बताया कि पर्यावरण एक वैश्विक विषय है. इसमें ये मेरा पर्यावरण ये तेरा पर्यावरण है, नहीं चल सकता. यह सबका सझाा है. पर्यावरण के मामले में एक की अच्छाई बुराई का प्रभाव सबों पर पड़ता है. पर्यावरण पर मंडरा रहे खतरों से निपटने में सभी सरकारें मिल-जुल कर अपना योगदान दे रहे हैं.

उन्होंने ने बताया कि प्लास्टिक अपने विशेष गुणों के कारण हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा सा बन गया है. पर इनके प्रयोग के बाद ऐसे कचरों का निपटान एक वैश्विक चुनौती बनती जा रही है

उन्होंने ने बताया कि बिहार राज्य में प्लास्टिक कैरी बैग पर पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है. साथ ही एकल उपयोग वाले चिन्हित प्लास्टिक उत्पादों को भी प्रतिबंधित किया जा चुका है. जब तक हम आप सभी इसका उपयोग बन्द नहीं करेगें ये प्रतिबंध प्रभावी नहीं हो पायेगा.

उन्होंने कुछ वर्षों पूर्व के काल का स्मरण करते हुए बताया कि उपयोग की वस्तु का कई रूपों में उपयोग किया जाता था, पुराने कपड़ा को सुजनी कला से कलात्मक रूप देकर इनके पुनर्प्रयोग किया जाता है. पहले हम रूमाल का प्रयोग किया था, पर अब इसके स्थान टिशू पेपर ने ले लिया है, जिसका उत्पादन पेड़ों को काटकर ही किया जाता है

उन्होंने जन-सामान्य से अपील किया किः

रोजमर्रा के इस्तेमाल में प्रतिबंधित एकल उपयोग प्लास्टिक उत्पादों का इस्तेमाल कम करे, घर से निकले कचरों को वर्गीकृत करके निष्पादन करें.

उन्होंने कोविड काल में पर्यावरण स्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि जब दैनिक जीवन की सारी गतिविधियाँ ठप पड़ गई थी, तो प्रदूषण भी कम था, सूदूर पहाड़ जो आम दिनों में नहीं दिखते थे, वे भी दिखने लगे थे। नीला आसमान भी सही में नीला दिखने लगा था। उन्होंने कहा आईये प्रण लें कि एक नई दुनिया बनायेंगे एक नया बिहार बनायेंगे.

कार्यक्रम में आगत अतिथियों को स्वागत करते हुए अध्यक्ष बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद डॉ. डी. के. शुक्ला ने अपने संबोधन में कहा कि मानवीय कारणों से प्रदूषण में वृद्धि हुई है. उनके द्वारा जलवायु परिवर्तन, सतही एवं भूगर्भीय जल का क्षरण, वायु प्रदूषण एवं जल प्रदूषण के सुधार के लिए किये जा रहे प्रयासो से सूक्ष्म धूलकणों एवं नदियों में फिकल कॉलीफॉम में दर्ज की जा रही कमी के बारे में जानकारी दी गयी.विश्व पर्यावरण दिवस के थीम के विषय पर बताया गया कि प्लास्टिक एक पॉलीमर है जो अपने अवयवों में टूट कर माइक्रोपॉलीमर में विघटित होते है. ये जब पर्यावरण में आते हैं तो पर्यावरण एवं जीवों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं= इसके निर्माण में विरंजकों (Colourant) में कलर के लिए थैलेट एवं अन्य हानिकारक पदार्थों का उपयोग किया जाता है जो कैंसर जैसी बीमारियां उत्पन्न कर सकती है. अमेरिका, चीन इत्यादि देशों में प्लास्टिक का उपयोग भारत से ज्यादा है. आज जरूरत है कि हम इसके सही निपटान में सहयोग करें एवं प्लास्टिक प्रदूषण की रोकथाम में हाथ बटायें. इस अवसर पर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण की स्थापना के 50 गौरवशाली वर्ष के उपलक्ष्य में विशेष आवरण (Special Cover) का लोकार्पण माननीय मंत्री पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार डॉ०. सुनील कुमार द्वारा किया गया. राज्य पर्षद की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में पर्षद के विगत 50 वर्षों की यात्रा पर प्रकाशित हिन्दी भाषा की ‘स्मारिका’ तथा आंग्ल भाषा में वैज्ञानिक आलेखों के संकलन का भी अनावरण मुख्य अतिथि द्वारा किया गया.

राज्य में स्थापित उद्योगों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के लिए की गयी व्यवस्था एवं प्रयासों के लिए मुंगेर जिला के बासुदेवपुर में स्थापित सर्वश्री आई.टी.सी. लिमिटेड को सम्मान स्वरूप प्रशस्ति पत्र, इकाई के महाप्रबंधक श्री वैभव गुप्ता द्वारा प्राप्त किया गया.

राज्य में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले निम्नांकित 3 व्यक्तियों / संस्था को उनके द्वारा किये गये कार्यों के सम्मान स्वरूप प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गयाः-

श्री संतोष कुमार सुमन,एल.आई.सी. ऑफिस, कृष्णपट्टी, जिला- जमुई 811307

सर्वश्री मिथिंगा वेस्ट मैनेजमेंट प्रा.लि. द्वारा सुश्री मोनालिसा एवं अतुल गुंजन,देवनंदन इन्कलेव, ज्योतिपुरम कॉलोनी, रूकुनपुरा, पटना 800014

मनोज कुमार, पर्यावरणविद्, वार्ड न०- 26, न्यू डाक बंग्ला रोड, बेतिया, पश्चिम चम्पारण- 845438

दिनांक 17 मई 2025 को पटना के ज्ञान भवन में आयोजित क्विज प्रतियोगिता, निबंध लेखन प्रतियोगिता एवं स्थल चित्रकारी प्रतियोगिता में पुरस्कार हेतु चयनित प्रतिभागियों का पुरस्कार स्वरूप कप व प्रमाण पत्र मुख्य अतिथि मंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग डॉ. सुनील कुमार एवं अपर मुख्य सचिव, हरजोत कौर बम्हरा और अन्य गणमान्य अतिथियों द्वारा प्रदान किया गया.

जो प्रतिभागी इस अवसर पर उपस्थित नहीं हो पाये, वे अपना पुरस्कार राज्य पर्षद मुख्यालय से किसी भी कार्यदिवस को कार्यावधि को प्राप्त कर सकते है.

कार्यक्रम के समापन पर बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के सदस्य सचिव नीरज नारायण, भा.व.से, द्वारा सभी सम्मानित अतिथियों, विभागीय पदाधिकारियों, छात्र-छात्राओं व उनके अभिभावकगण एवं प्रेस मीडिया के प्रतिनिधियों का धन्यवाद ज्ञापन किया गया.

इस कार्यक्रम में एन.टी.पी.सी. कहलगांव, बिहार रेल बिजली निगम, नबीनगर, हरिनगर सुगर मिल, पश्चिम चम्पारणः मगध सुगर मिल एवं एनर्जी लिमिटेड, डिस्टीलरी डिवीजन, गोपालगंज: श्री सीमेंट प्लांट, औरंगाबादः मुजफ्फरपुर डेयरी, मुजफ्फरपुर: एन.टी.पी.सी. बाढ़, आई.टी.सी. लिमिटेड, मुंगेर, हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड, बरौनी; कोका कोला, पाटलिपुत्रा, पटना; आई.ओ.सी.एल. रिफाइनरी, बरौनी; एन.टी.पी.सी. नबीनगरः बरूण वेबरेज (पेप्सी) द्वारा अपने प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था के मॉडलों की प्रदर्शनी लगायी गई.

इस अवसर पर राज्य में एकल उपयोग प्लास्टिक के वैकल्पिक उत्पाद बनाने वाली तीन औद्योगिक इकाईयों सर्वश्री अर्णपूर्णा डिस्पोजेबल, पूर्णियाँ: एम.एस.बी. पॉलीमर, पटना तथा एम. एन.ओ. स्वदेशी, मुजफ्फरपुर द्वारा अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया गया।

एम.एन.ओ. स्वदेशी द्वारा एकल उपयोग प्लास्टिक के वैकल्पिक उत्पाद के रूप में मक्के के छिलके का उपयोग किया गया, जो एक आकर्षक का केन्द्र रहा।

डाक महाध्यक्ष, पटना परिमंडल, पटना श्री एम.यू. अब्दाली की उपस्थिति में राज्य पर्षद् के विशेष आवरण का लोकापर्ण किया गया। इस असवर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल प्रमुख) श्री पी. के. गुप्ता भावसे. प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास); श्री अरविन्दर सिंह, मा.व.से. श्री भारत ज्योति, भा.व.से., अध्यक्ष बिहार राज्य जैव-विविधता पर्षद भी उपस्थित रहे.

pncb

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