DCLR ट्रेनिंग: राजस्व मामलों में पारदर्शिता, समयबद्धता और निरीक्षण पर जोर

DCLR ट्रेनिंग: नियमित निरीक्षण, समीक्षा बैठक और कोर्ट में समयबद्ध सुनवाई सुनिश्चित करना सभी डीसीएलआर की प्राथमिक जिम्मेदारीविजय सिन्हा

अपर मुख्य सचिव ने कहा : नियमित निरीक्षण, समीक्षा बैठक और कोर्ट में समयबद्ध सुनवाई सुनिश्चित करना सभी डीसीएलआर की प्राथमिक जिम्मेदारी




राजस्व न्यायालयों में वादी खुद भी रख सकते अपना पक्ष, वकील की जरूरत नहीं : सचिव

पटना।। राजधानी में शुक्रवार को डीसीएलआर का दो दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुआ. इस मौके पर उपमुख्यमंत्री सह राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री विजय सिन्हा ने कहा है कि डीसीएलआर का यह प्रशिक्षण राजस्व प्रशासन को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और परिणाममुखी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. अंचल कार्यालयों का नियमित निरीक्षण, मासिक समीक्षा और कोर्ट में समयबद्ध सुनवाई आपकी प्राथमिक जिम्मेदारी है.

उन्होंने कहा कि राजस्व महा–अभियान के आवेदनों का त्वरित निष्पादन, जमाबंदी अद्यतन और पेंडिंग मामलों में तेजी से कमी हमारी शीर्ष प्राथमिकताएँ हैं. सभी कार्य पूरी तरह ऑनलाइन हों, अनावश्यक दस्तावेज़ मांगने या लोगों को कार्यालय बुलाने की प्रथा समाप्त हो. आप युवा अधिकारी हैं, संवेदनशीलता और दक्षता के साथ काम कर बिहार के राजस्व प्रशासन को और मजबूत बनाएं.

इससे पहले प्रशिक्षण उद्घाटन संबोधन में विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने डीसीएलआर की भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि वे अपने अधीनस्थ अंचल कार्यालयों की कार्यप्रणाली के लिए जवाबदेह हैं. उन्होंने स्पष्ट कहा कि वर्तमान में अंचल कार्यालयों का नियमित निरीक्षण और समीक्षा नहीं हो पा रही है, जबकि बेहतर राजस्व प्रशासन के लिए दोनों कार्य अनिवार्य हैं. उन्होंने निर्देश दिया कि सभी डीसीएलआर हलका स्तर तक निरीक्षण करें, महीने में कम से कम दो बार अनुमंडल स्तर पर समीक्षा बैठक आयोजित करें तथा प्रथम अपीलीय न्यायालय के रूप में आने वाले वादों का समयबद्ध निष्पादन सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा कि डीसीएलआर न्यायालयों में बढ़ते पेंडिंग मामलों को कम करना अत्यावश्यक है.

उन्होंने कहा कि माह में कम से कम चार दिन नियमित रूप से सुनवाई करें. कोर्ट का कार्य आपकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है और इसमें ढिलाई स्वीकार्य नहीं. अपर मुख्य सचिव ने राजस्व महा–अभियान के दौरान प्राप्त 45 लाख आवेदनों के त्वरित निष्पादन, जमाबंदी रजिस्टर के अद्यतीकरण तथा मृत व्यक्तियों के नाम हटाकर सभी उत्तराधिकारियों का नाम दर्ज करने को विभाग की शीर्ष प्राथमिकता बताया.

कार्यक्रम के दौरान विभाग के सचिव जय सिंह ने रेवेन्यू कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम पर विस्तृत चर्चा की. उन्होंने कहा कि राजस्व न्यायालयों में सभी कार्य पूरी तरह ऑनलाइन किये जा रहे हैं और नए केस केवल ऑनलाइन ही दर्ज किए जाएंगे. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राजस्व मामलों में वकील अनिवार्य नहीं है, आवेदक स्वयं भी अपनी पैरवी कर सकता है.

म्यूटेशन अपील के मामलों का उल्लेख करते हुए सचिव ने कहा कि अभी भी कई जगहों पर लोगों से सर्टिफाइड कॉपी मांगी जा रही है, जबकि अब डिजिटली साइन की गईं प्रतियां ही मान्य होंगी. उन्होंने डिफेक्ट चेक में हो रही देरी पर चिंता व्यक्त की और निर्धारित समय सीमा का पालन करने का निर्देश दिया. उन्होंने यह भी कहा कि अनावश्यक रूप से लोगों को कार्यालय बुलाने की प्रथा बंद होनी चाहिए और आदेश लेखन की गुणवत्ता में सुधार आवश्यक है।
आईटी मैनेजर आनंद शंकर ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से लंबित वादों की स्थिति और ऑनलाइन व्यवस्था से मिलने वाली सुविधाओं पर प्रकाश डाला। इसके बाद विभिन्न विशेषज्ञों ने अपने-अपने विषयों पर तकनीकी सत्र प्रस्तुत किए. कार्यक्रम में विशेष सचिव अरुण कुमार सिंह, अपर सचिव डॉ महेंद्र पॉल, अपर सचिव संजीव कुमार, विशेष कार्य पदाधिकारी सुधा कुमारी, अनुपम प्रकाश एवं मणिभूषण किशोर, सहायक निदेशक मोना झा, उप सचिव संजय कुमार सिंह, सुनील कुमार सिंह सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे.

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