‘भारतीय किसी भी राज्य में प्रवासी नहीं हैं’

By Amit Verma Jun 11, 2017

‘बिहारी मजदूरों की पीड़ा’ नामक पुस्तक का विमोचन करते हुए नीतीश कुमार नें कहा कि बिहारी या किसी भी भारतीय को देश के किसी भी हिस्से में रहने का अधिकार है और उसे प्रवासी कहना गलत है. देश एक है और राज्य सुविधा के लिए बनाए गए हैं. तो अपने देश में कोई प्रवासी कैसे हो सकता है.




‘बिहारी मजदूरों की पीड़ा’ पुस्तक का विमोचन का आयोजन पैरवी संस्था ने किया. इस अवसर पर किताब के लेखक अरविन्द मोहन ने कहा कि बिहार से मजदूरों का जाना जारी है. हालांकि इसमें कई तरह के बदलाव आये हैं. उन्होंने कहा कि बिहारी मजदूरों की स्थिति बेहतर करने के लिए सबसे आवश्यक है कि उनके पंजीकरण की प्रक्रिया प्रखंड या पंचायत स्तर की पर जाए और Inter State Migrants Worker Act को दुरुस्त किया जाये.

इस अवसर पर अरविन्द मोहन द्वारा चंपारण सत्याग्रह पर लिखी गयी दो पुस्तकों का भी विमोचन किया गया. पैरवी के निदेशक अजय झा ने कहा कि पुरी दुनिया में और भारत में भी प्रवासी मजदूरों का वहाँ  की अर्थव्यवस्था में बहुत हीं महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन प्रवासी मजदूर खुद ही सारे देश में हासिये पर हैं.

पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रो संजय पासवान नें कहा कि श्रम की बातचीत और कानूनों में श्रमिक शब्द हीं गायब होता जा रहा है. कुछ दलित नेताओं की पहल से श्रम मंत्रालय नें कुछ प्रयास किए, लेकिन श्रम  के सवाल को हमें अर्थव्यवस्था, राजनीति और सतत विकास के मुद्दों से जोड़ कर देखने की आवश्यकता है. डॉ मनोज झा, राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता और दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक नें कहा कि मजदूरों और गरीबों की जाति है जो जाती नहीं है. उन्होंने कहा कि विकल्पों की चर्चा में जब तक वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था को समानता और समता का पोषण करती है वो नहीं आएगी तब तक मेहनतकश और मजदूरों की स्थिति ऐसी हीं रहेगी. आद्री के सदस्य सचिव शैवाल गुप्ता ने कहा कि बिहार में स्थिति बेहतर होने के बावजूद निवेश की कमी से रोजगार का सृृजन कम हो रहा है और लोगों को रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ता है. पैरवी के दीनबंधु वत्स ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

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