भोजपुरी लोगों के लिए भोजन तुल्य- रेशनलाइजेशन कमिटी

By pnc Sep 20, 2016

भोजपुरी विभाग में छात्रों के नामांकन का ग्रोथ था 34%

बिहार सरकार के शिक्षा विभाग से 24/08/2012 को आये पत्र संख्या-15/एम/75/12 उ०शि० 1737 तथा 6/11/2012 को आये पत्र संख्या-15/एम/75/12-2266 के आलोक में वीर कुंवर सिंह विश्विद्यालय ने एक रेशनलाइजेशन कमिटी बनायी थी जिसमें डॉ राघवेंद्र प्रसाद सिंह, डॉ अरुण कुमार सिन्हा, डॉ बालेश्वर पासवान और डॉ राजेन्द्र प्रसाद सिंह शामिल थे. इस कमिटी के अध्यक्ष डॉ राघवेंद्र प्रसाद सिंह थे. इस कमिटी ने स्नातोकोत्तर विभाग में 2006-07 से लेकर 2011-12 तक विभिन्न विभागों में हुई छात्रों के नामांकन की वृद्धि दर पर एक रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी थी. इस रिपोर्ट में भोजपुरी विभाग में छात्रों के नामांकन में 34 प्रतिशत का उक्त वर्षो में ग्रोथ हुआ था, जबकि इससे कम नामांकन ग्रोथ वाले विषय में प्राकृत(३२%),कॉमर्स(28%), और हिंदी(5.1%) शामिल थे. लेकिन नियति देखिए  भोजपुरी में नामांकन में अच्छे ग्रोथ के बाद भी इसे ही बंद कर दिया गया, जबकि बाकी पूर्ववत हैं.




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भोजपुरी की पढ़ाई के लिए भी की गयी थी सिफारिश

कमिटी ने अपने रिपोर्ट में यह लिखा था विवि पुराने शाहाबाद क्षेत्र में आता है,जहाँ भोजपुरी भाषा इस क्षेत्र के दिल के समान है. कमिटी ने लिखा कि इस क्षेत्र में भोजपुरी उस भोजन की तरह जरुरी है जो किसी क्षेत्र के लिए नितांत जरुरी होता है. भोजपुरी इस क्षेत्र की आत्मा है, जो न सिर्फ इस प्रदेश और देश में बोली जाती है, बल्कि यह देश के बाहर मॉरीशस,फिजी,गुआना,त्रिनिदाद,सूरीनाम जैसे कई देशों में भी बोली जाती है.रिपोर्ट में यह भी लिखा गया कि यह सिर्फ क्षेत्रीय नहीं बल्कि इंटरनेशनल भाषा है. इसलिए इस भाषा की पढ़ाई  को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

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भोजपुरी विभाग के लिए मांगे 7 पद

2006-07 से लेकर 2011-2012 तक नामांकन के आधार पर कमिटी ने जो रिपोर्ट तैयार की थी, जिसमें  विश्वविद्यालय के कई अंगीभूत कॉलेजों में पढ़ाई जाने वाली विभिन्न विषयों के लिए शिक्षकों के लिए नियुक्तियों की सिफारिश भी थी. सभी विभागों में शिक्षकों के पदों की जरुरत थी, जिसमें 19 विभागों के लिए 140 पदों पर शिक्षक नियुक्ति की सिफारिश की गयी थी. इन पदों में भोजपुरी के स्नातोकोत्तर विभाग के लिए भी 7 पदों की मांग की गयी थी लेकिन पदों पर बहाली तो दूर, इस रिपोर्ट के बाद भी भोजपुरी विभाग पर ग्रहण लग गया जबकि इससे कम नामांकन ग्रोथ वाले विषय अब भी चालू हैं.

आरा से ओ पी पाण्डेय की रिपोर्ट 

 

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